15 अगस्त 1947 को 200 वर्ष की अंग्रेजों की गुलामी के बाद भारत स्वतंत्र हुआ। इसी दिन उ.प्र. की राजधानी और पुराने नवाबी शहर लखनऊ में दैनिक समाचार पत्र ‘स्वतंत्र भारत’ का जन्म हुआ। प्रारम्भ से ही लखनऊ, कानपुर में’स्वतंत्र भारत’ पाठकों की पहली पसन्द रहा है। कालान्तर में इसका प्रसार पूरे प्रदेश एवं पड़ोसी राज्यों में होने लगा।’स्वतंत्र भारत’ ने उन सभी राष्ट्रभक्त हिन्दी प्रेमी पाठकों एवं लेखकों को मौका दिया जो कि अंग्रेजी समाचार पत्रों की अंग्रेजियत से ऊब चुके थे।
जिस समय ‘स्वतंत्र भारत’का प्रकाशन आरम्भ हुआ उस समय लखनऊ और अवध के हिन्दी समाचार पत्र जगत में एक शून्य सा उपस्थित हो गया था। इस क्षेत्र की साहित्यिक प्रतिभाओं की अभिव्यक्ति के सशक्त माध्यम का अभाव था। ‘स्वतंत्र भारत’ने इस क्षेत्र के होनहार लेखकों को वह अवसर दिया जिसकी उन्हें चाह थी। कविता, कहानी, इतिहास, राजनीति, अर्थशास्त्र, पुरातत्व, विज्ञान सहित विविध विषयों पर प्रमाणिक विद्वानों को लिखने में प्रवृत्त करने में ‘स्वतंत्र भारत’ सदा सचेष्ट रहा। स्वतंत्र भारत से देश के प्रमुख साहित्यकार एवं पत्रकार अपने शुरुआती दौर से ही सम्बद्ध रहे जिन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पटल पर ख्याति प्राप्त की। लखनऊ और अवध के इतिहास के विस्मृत पृष्टो को प्रकाश में लाने का ‘स्वतंत्र भारत’ ने उल्लेखनीय कार्य किया।
विद्यालय और उनकी गतिविधियों एवं खेलकूद पर ‘स्वतंत्र भारत’ ने शुरू से ध्यान दिया और इनकी गतिविधियों की रिपोर्ट देने के लिए विद्यार्थियों एवं खिलाड़ी वर्ग से ही संवाददाता रखे। ‘स्वतंत्र भारत’ ने सदैव विभिन्न खेलों के तकनीकी पहलुओं से पाठकों का परिचय कराया। इसी का ही नतीजा है कि आकाशवाणी / दूरदर्शन से क्रिकेट का आँखों देखा हाल सुनाने में प्रयुक्त किये जाने वाले ‘चौका’, ‘छक्का’, ‘गेंदबाज’, ‘बल्लेबाज’ आदि शब्द ‘स्वतंत्र भारत’ की ही देन हैं। ‘स्वतंत्र भारत’ ने ही क्रिकेट का आंखों देखा हाल सुनाने की परिकल्पना प्रस्तुत की और इसे लागू करने के लिये विभिन्न स्तरों पर प्रयास किये। परिणामस्वरूप ‘स्वतंत्र भारत’ परिवार की ओर से ही सबसे पहले क्रिकेट का आंखों देखा हाल आकाशवाणी पर प्रस्तुत किया गया।
आरम्भ से ही राष्ट्रीय हित के मुद्दों में कश्मीर का भारत में विलय हो, जूनागढ़ की मुक्ति और चटगांव की पहाडिय़ों का मामला हो, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद शांति और सदभाव के लिए 12 जनवरी 1948 से शुरू किया गया गांधी जी का अनशन और उनकी मार्मिक अपील हो, या फिर 12 सितम्बर 1948 को पाकिस्तान के निर्माता मोहम्मद अली जिन्ना के निधन का समाचार, इन्हें इस समाचार पत्र ने विस्तृत जानकारी के साथ प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसी तरह पाठकों को समाचारों से निष्पक्ष रूप से अपडेट कराते हुए शेख अब्दुल्ला की गिरफ्तारी, राज्यों का पुनर्गठन, देश में दशमलव प्रणाली का लागू होना, सम्पूर्णानन्द जी का पद त्याग, अन्तरिक्ष में मानव, गोवा की मुक्ति, अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन.एफ. कैनेडी की हत्या, देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू का निधन, ताशकंद में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु, रुपये का अवमूल्यन, कांग्र्रेस का विभाजन, मेघालय की स्थापना, सन 1971 का भारत – पाक युद्ध और बांग्ला देश का उदय आदि प्रमुख घटनाओं के बारे में भी हम विस्तार के साथ अपने पाठकों को अवगत कराते रहे।
भारत-पाक युद्ध में अपने अप्रतिम साहस और दृढ़ निश्चय का परिचय देने के साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के नेतृत्व में देश में एक नये युग का सूत्रपात हुआ लेकिन यह भी विडम्बना ही थी कि देश में एक नयी ऊर्जा का संचार करने वाली इन्दिरा जी 1975 में आपातकाल के काले अध्याय की सूत्रधार भी बनीं। बाद में उनके पराभव, जनता पार्टी की सरकार के आने- जाने और इन्दिरा जी के फिर सत्तासीन होने की उथल- पुथल से हम अपने पाठकों को निरन्तर परिचित कराते रहे। इस बीच देश के होनहार खिलाडिय़ों ने तीन ओलम्पिक खेलों में हॉकी का स्वर्ण पदक देश को दिलाया तो दो बार क्रिकेट का विश्व कप एवं 20-20 विश्व कप भी भारत की झोली में आया। वर्ष 1984 में इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद देश में मची अशान्ति पर ‘स्वतंत्र भारत’ की पैनी नजर रही। इसके बाद स्व. राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने जिन्होंने जहां पंचायती राज की स्थापना और संचार क्रान्ति की शुरुआत की तो उन्हीं के कार्यकाल में बोफोर्स का कलंक भी लगा।
यह उस प्रवृत्ति का सूत्रपात था जिसे आज हम टू जी स्पेक्ट्रम और राष्ट्र – मंडल खेलों में घोटालों के रूप में देख रहे हैं। राजीव गांधी की हत्या की विभीषिका झेलने के बाद देश में गठबन्धन सरकारों का एक नया युग चला जो आज तक चला आ रहा है। स्व. पीवी नरसिंहाराव के प्रधानमंत्रित्व के दौरान देश में आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई जिस पर चलकर अब देश नयी ऊँचाइयों को छू रहा है। इस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी के रूप में देश को एक और चमत्कारिक प्रधानमंत्री मिला और कारगिल में हमने एक बार फिर पाक को धूल चटाई। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के कार्यकाल में देश ने बहुआयामी प्रगति की लेकिन यह भी सही है कि भ्रष्टाचार अब एक गम्भीर समस्या बन चुका है। इस पूरी अवधि में अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए इस समाचार पत्र ने निष्पक्ष पत्रकारिता को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचाया और अपने साथ विशाल पाठक वर्ग को जोड़ा। हमें इस बात का भी संतोष है कि स्वतंत्र भारत से योग्य व्यक्ति जुड़े तो कई सहयोगियों के लिए यह एक प्रशिक्षण संस्थान के रूप में उपयोगी रहा है और आज वे प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत हैं। आज जब हम पीछे मुडक़र देखते हैं तो हमें गर्व के साथ ही यह संतोष भी होता है कि देश के स्वर्णिम इतिहास के पल- पल के हम साक्षी रहे हैं।
हम किसी एक दौर के नहीं बल्कि पीढिय़ों के विश्वासपात्र रहे, आज भी हैं और कल भी रहेंगे। यह ऐसा अकेला समाचार पत्र है जिसकी स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर भारत सरकार के डाक एवं तार विभाग ने डाक टिकट जारी किया था।
लखनऊ एवं कानपुर से एक साथ प्रकाशित ‘स्वतंत्र भारत’ पूरे उत्तर प्रदेश में अपनी आठ लाख से अधिक पाठक संख्या के कारण अन्य हिन्दी दैनिकों से कहीं आगे है। लखनऊ एवं कानपुर नगर संस्करणों के अलावा इलाहाबाद, फैजाबाद, वाराणसी, गोरखपुर तथा शाहजहांपुर उप संस्करण भी लखनऊ से प्रकाशित किये जाते हैं जबकि कानपुर डाक संस्करण – कानपुर से जुड़े हुए जिलों एवं बुन्देलखण्ड क्षेत्र के साथ ही मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रसरित होता है। इस तरह सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश की व्यापक कवरेज यह समाचार पत्र करता है। ‘स्वतंत्र भारत’ की समृद्ध विषय सामग्री, विश्वसनीय तथा सन्तुलित समाचार कवरेज, विचारोत्तेजक संपादकीय, विशिष्ट लेख और विश्लेषण इसकी प्रमुख विशेषतायें और आधार हैं। इसके अलावा खेल, आर्थिक, सेहत, शिक्षा, मनोरंजन तथा अन्य नियमित फीचर्स इसके अतिरिक्त पहलू हैं। इस समाचार पत्र की हर सुबह अपने आप में नवीनता लेकर प्रस्तुत होती है और इसीलिए इसकी पाठक संख्या उत्तरोत्तर अभिवृद्धि की ओर है।